Helplessness...

यह कैसी अजब बेबसी है

वो मेरे समने, लेकिन फिर भी कितनी दूर…

कभी आन्खो मे वो प्यार जो केवल मै ही जानू

कभी इतना दर्द कि दिल ही टूट जये

कभी किल्कारियो की गून्ज से चोन्का देना

कभी इतने आन्सु कि मरासिम बने ही रह जाना…

क्या सोच रही है आज आप

हर एक भाव का एह्सास ले रही है आप

मुझे बता भी न पाओगी

ये राज मन मे दबाकर चले जाओगी…

हम कितने बेबस है, कुच भी तो कर न पाते

पर फिर भी, सारे जहा के साहुकार समझ इत्राते…

इतनी बेबसी है की इजहार ही न हो पा रही…