कभी कभी लगता नही ?
की बस शन्ती हो
कोइ शोर न हो
न मुझे किसी कि जरूरत हो
न ही किसी को मेरी
अब जो सैलाब् गुजर् गया है
एकान्त् मे सोच तो ले
की हमने क्या खोया, क्या पाया...
कभी कभी लगता नही ?
की बस शन्ती हो
कोइ शोर न हो
न मुझे किसी कि जरूरत हो
न ही किसी को मेरी
अब जो सैलाब् गुजर् गया है
एकान्त् मे सोच तो ले
की हमने क्या खोया, क्या पाया...